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प्रादेशिकीउत्तर-प्रदेश Alert Star Digital Team Mar 28, 2024 10:05 PM

डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति, CJI चंद्रचूड़ को 600 वकीलों की चिट्ठी पर बोले PM मोदी

डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति, CJI चंद्रचूड़ को 600 वकीलों की चिट्ठी पर बोले PM मोदी

डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति, CJI चंद्रचूड़ को 600 वकीलों की चिट्ठी पर बोले PM मोदी

देशभर के करीब 600 नामी-गिरामी वकीलों द्वारा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखी गई चिट्ठी पर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा है कि दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है।वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और 'बार काउंसिल ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत अनेक वकीलों ने सीजेआई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि एक निहित स्वार्थ वाला समूह 'बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा' के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर वकीलों की चिट्ठी को लेकर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लिखा, ''पांच दशक पहले ही उन्होंने प्रतिबद्ध न्यायपालिका का आह्वान किया था। वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।'' बता दें कि भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को 26 मार्च को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ''उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में, विशेषकर उन मामलों में सबसे ज्यादा स्पष्ट होती है जिनमें भ्रष्टाचार की आरोपी राजनीतिक हस्तियां होती हैं। ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।''
आधिकारिक सूत्रों द्वारा साझा किए गए पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। पत्र में कहा गया है कि यह समूह अदालतों के कथित बेहतर अतीत और सुनहरे दौर की झूठी कहानियां बनाता है और इसकी तुलना वर्तमान में होने वाली घटनाओं से करता है। पत्र में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य अदालतों को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें असहज करना है। 'न्यायपालिका पर खतरा: राजनीतिक और पेशेवर दबाव से न्यायपालिका को बचाना' शीर्षक वाले पत्र को लिखने वाले करीब 600 अधिवक्ताओं में आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं।
यूं तो वकीलों ने पत्र में किसी विशिष्ट मामले का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के कई बड़े आपराधिक मामलों से निपट रही हैं। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस आरोप का खंडन किया है। इन विपक्षी पार्टियों ने, जिनमें कुछ जाने-माने वकील भी शामिल हैं, ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की हालिया गिरफ्तारी के खिलाफ हाथ मिलाया है। पत्र लिखने वाले वकीलों ने कहा है कि इस समूह ने 'बेंच फिक्सिंग' की पूरी कहानी गढ़ी है जो न केवल अपमानजनक है बल्कि अदालतों के सम्मान और गरिमा पर आघात है। पत्र के अनुसार, ''ये लोग अपनी अदालतों की तुलना उन देशों से करने के स्तर तक चले गए जहां कानून का कोई शासन नहीं है।'' इन अधिवक्ताओं ने कहा है कि इन आलोचकों का रवैया कुछ ऐसा है कि जिन फैसलों से वे सहमत होते हैं, उनकी तारीफ करते हैं, लेकिन उनकी असहमति वाले किसी भी फैसले की वे अवमानना करते हैं।
कांग्रेस ने वकीलों के एक समूह द्वारा प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखे जाने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को पाखंड की पराकाष्ठा करार देते हुए गुरुवार को आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में चीजों को तोड़ने-मरोड़ने, ध्यान भटकाने और लोगों को बदनाम करने का काम किया गया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि हाल के हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई झटके दिए हैं और चुनावी बॉन्ड योजना इसका एक उदाहरण है। रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, ''न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर, न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने और इसमें समन्वय करने में प्रधानमंत्री की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है। हाल के हफ्तों में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें कई झटके दिए हैं। चुनावी बॉण्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है।'' कांग्रेस नेता ने दावा किया, '' उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि यह (बॉण्ड) कंपनियों को भाजपा को दान देने के वास्ते मजबूर करने के लिए भयभीत करने, ब्लैकमेल करने और धमकी देने का एक ज़बरदस्त साधन था।''

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