होम कौन हैं विधायक बच्चू कडू? अमित शाह की रैली के लिए नहीं छोड़ रहे थे ग्राउंड, नवनीत राणा से दुश्मनी
कौन हैं विधायक बच्चू कडू? अमित शाह की रैली के लिए नहीं छोड़ रहे थे ग्राउंड, नवनीत राणा से दुश्मनी
महाराष्ट्र की अमरावती सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को पार्टी में शामिल करने और उन्हें चुनाव लड़ाने का भाजपा का फैसला महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़े कुछ नेताओं को रास नहीं आया।
अब अमरावती में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और प्रहार पार्टी के नेता और विधायक बच्चू कडू की रैली स्थल को लेकर भी विवाद देखने को मिला।
बच्चू कडू सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं और उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव भी लड़ रही है। अमरावती में रैली की जगह को लेकर भाजपा ने अपना दावा किया था वहीं और कहा था कि उसने यह मैदान बुक किया था। वहीं कडू का दावा है कि ये ग्राउंड उनकी पार्टी द्वारा बुक किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अमित शाह की रैली के वास्ते रास्ता बनाने के लिए बल प्रयोग किया। वहीं शाह की बैठक के मद्देनजर, मैदान को नियंत्रित करने वाली अमरावती जिला परिषद (जेडपी) ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए बुधवार (24 अप्रैल) को उसी स्थान पर अपनी रैली आयोजित करने के लिए कडू को दी गई अपनी पिछली मंजूरी रद्द कर दी।
दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान आज बंद हो जाएगा। इस दौरान अमरावती में भी 26 अप्रैल को मतदान होगा। इस मौके पर अमित शाह ने आज नवनीत राणा के लिए अमरावती में रैली की। प्रचार के आखिरी चरण में यहां साइंसकोर ग्राउंड बुक कराने को लेकर भाजपा और प्रहार पार्टी के बीच टकराव से पहले उनकी कई बार राणा दंपत्ति से भी झड़प हो चुकी है। राणा दंपत्ति और बच्चू कडू एक दूसरे की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। लेकिन, मंगलवार को साइंसकोर मैदान पर जो ड्रामा हुआ, उसने लड़ाई को कांटे की टक्कर में बदल दिया है।
कडू ने राणा की उम्मीदवारी को ‘लोकतंत्र का पतन’ बताया था और कहा कि उन्हें हराना होगा। अडसुल ने इस कदम को महायुति का ‘राजनीतिक आत्महत्या’ वाला कदम बताया और घोषणा की कि भले ही उनकी पार्टी उनका समर्थन नहीं करे, फिर भी वह राणा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि अमरावती संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2019 के विधानसभा चुनाव में तेवसा और दरयापुर सीट पर जीत हासिल की थी, वहीं बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीजेपी) ने मेलघाट और आचलपुर संसदीय क्षेत्रों में जीत दर्ज की।
पीजेपी ने 2019 में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को समर्थन दिया था। हालांकि जून 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद वह एकनाथ शिंदे नीत खेमे के साथ चले गए। कडू ने राणा की उम्मीदवारी का विरोध किया है। राणा के पति रवि राणा निर्दलीय विधायक हैं और वह 2019 के चुनाव में बडनेरा सीट से जीते थे। कांग्रेस की सुलभा खोडके ने अमरावती विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी।
Leave A comment
महत्वपूर्ण सूचना -
भारत सरकार की नई आईटी पॉलिसी के तहत किसी भी विषय/ व्यक्ति विशेष, समुदाय, धर्म तथा देश के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी दंडनीय अपराध है। इस प्रकार की टिप्पणी पर कानूनी कार्रवाई (सजा या अर्थदंड अथवा दोनों) का प्रावधान है। अत: इस फोरम में भेजे गए किसी भी टिप्पणी की जिम्मेदारी पूर्णत: लेखक की होगी।