होम पर्दे के पीछे चीन से बात कर रही भारत में बैठी तिब्बती सरकार, ड्रैगन ने बता दिए अपने इरादे

समाचारदेश Alert Star Digital Team Apr 26, 2024 09:25 PM

पर्दे के पीछे चीन से बात कर रही भारत में बैठी तिब्बती सरकार, ड्रैगन ने बता दिए अपने इरादे

पर्दे के पीछे चीन से बात कर रही भारत में बैठी तिब्बती सरकार, ड्रैगन ने बता दिए अपने इरादे

पर्दे के पीछे चीन से बात कर रही भारत में बैठी तिब्बती सरकार, ड्रैगन ने बता दिए अपने इरादे

चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह केवल दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बात करेगा। उसने भारत में स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों से बात करने से इनकार कर दिया। हालांकि चीन ने कहा कि वह दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बात करने को तैयार है लेकिन तिब्बत के लिए स्वायत्तता की लंबे समय से चली आ रही मांग पर कोई बातचीत नहीं करेगा।

दलाई लामा खुद लंबे समय से अपनी मातृभूमि के लिए स्वायत्तता की मांग करते आ रहे हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन निर्वासित तिब्बती सरकार और चीनी सरकार के बीच बैक-चैनल वार्ता की रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि चीन धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार को मान्यता नहीं देता है। वांग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "तथाकथित जिजांग की निर्वासित सरकार पूरी तरह से चीनी संविधान और कानूनों के खिलाफ है। यह अवैध है।" उन्होंने कहा, "किसी भी देश ने इसे मान्यता नहीं दी है।"

तत्काल कोई उम्मीद नहीं है- तिब्बती सरकार

गुरुवार को, सिक्योंग (तिब्बत की निर्वासित सरकार) के राजनीतिक प्रमुख, पेंपा त्सेरिंग ने भारत के धर्मशाला में पत्रकारों के एक समूह से कहा कि "पिछले साल से हमारे बीच बैक-चैनल पर बातचीत हुई है। लेकिन हमें तत्काल कोई उम्मीद नहीं है। इसमें लंबा वक्त लगेगा।" उन्होंने इस बात पर जोर किया कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता "बहुत अनौपचारिक" है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के प्रमुख ने कहा, "हमारे पास वार्ताकार हैं जो बीजिंग में लोगों से बात करते हैं। फिर अन्य लोग भी हैं जो हम तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।"

चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, चीनी सरकार के पास "(दलाई लामा के) समूह के साथ संपर्क के लिए दो बुनियादी सिद्धांत हैं।" वांग ने कहा, "सबसे पहले, हम तथाकथित निर्वासित सरकार या तथाकथित प्रशासनिक केंद्र के तथाकथित प्रतिनिधियों के बजाय केवल 14वें दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे।" उन्होंने कहा कि हमारा दूसरा सिद्धांत ये है कि बातचीत का विषय केवल व्यवस्थाओं को लेकर होगा न कि तिब्बत की "तथाकथित स्वायत्तता" को, जो 88 वर्षीय दलाई लामा की मुख्य मांग है।"

कोई ठोस नतीजा नहीं निकला

वांग ने विस्तार से बताए बिना कहा, "उन्हें कुछ आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और जिजांग की स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाली सभी गतिविधियों से बचना चाहिए और सही रास्ते पर वापस जाना चाहिए ताकि हम अगले कदम की ओर बढ़ सकें।" 2002 से 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच नौ दौर की बातचीत हुई जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। तिब्बती पक्ष ने दलाई लामा की 'मध्यम मार्ग नीति' के अनुरूप तिब्बती लोगों के लिए वास्तविक स्वायत्तता की वकालत की। 2010 के बाद से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।धर्मशाला में एक अन्य वरिष्ठ तिब्बती नेता ने संकेत दिया कि बैक-चैनल से बातचीत का उद्देश्य पूरी वार्ता प्रक्रिया को पुनर्जीवित करना है क्योंकि तिब्बती मुद्दे को हल करने का यही एकमात्र रास्ता है। 14वें दलाई लामा 1959 में पड़ोसी देश चीन द्वारा तिब्बत पर जबरन और अवैध कब्जे के दौरान तिब्बत से भाग गए थे। दलाई लामा भारत आए जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार की स्थापना की।तिब्बत की निर्वासित सरकार और चीन के बीच पर्दे के पीछे बातचीत चल रही है, जो इस बात का संकेत है कि दोनों पक्षों के बीच करीब एक दशक से अधिक समय से बंद संवाद प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है। तिब्बत में चीन विरोधी प्रदर्शनों और बीजिंग के बौद्ध धर्म के प्रति कट्टर दृष्टिकोण के कारण दोनों पक्षों के बीच औपचारिक वार्ता प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लग गया था।
तिब्बत के मुद्दे को लेकर भारत से मिल रहा समर्थन
तिब्बत की निर्वासित सरकार के सिक्योंग या राजनीतिक प्रमुख पेंपा त्सेरिंग ने अनौपचारिक वार्ता की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके (निर्वासित सरकार) वार्ताकार 'बीजिंग में लोगों' के साथ बातचीत कर रहे हैं लेकिन किसी सहमित पर पहुंचने की तत्काल कोई उम्मीद नहीं है। त्सेरिंग ने संवाददाताओं से कहा, ''पिछले वर्ष से हमारे बीच पर्दे के पीछे बातचीत चल रही है। लेकिन हमें इससे तत्काल कोई उम्मीद नहीं है। यह दीर्घकालिक समाधान होना चाहिए।''सीटीए नेता ने 2020 में पूर्वी लद्दाख विवाद के बाद नयी दिल्ली और बीजिंग के बीच खराब हुए संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ ने भारत में तिब्बत के मुद्दे को प्रमुखता से रखा है। उन्होंने कहा, ''सीमा पर चीनी घुसपैठ के साथ ही तिब्बत का मुद्दा भी स्वाभाविक रूप से भारत में उजागर हो गया है।'' त्सेरिंग ने तिब्बत के मुद्दे को लेकर भारत से मिल रहे अधिक समर्थन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ''आप देख सकते हैं कि भारत की विदेश नीति अब अधिक जीवंत हो रही है। दुनिया भर में भारत का प्रभाव भी बढ़ रहा है। इस लिहाज से हम निश्चित रूप से चाहेंगे कि भारत तिब्बत के मुद्दे के प्रति थोड़ा और मुखर हो।''

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